“असफलता की जीत – The Triumph of Failure“
बहुत समय पहले एक छोटे से गांव में विवेक नाम का लड़का रहता था। उसकी आंखों में बड़े-बड़े सपने थे। उसका सबसे बड़ा सपना था कि वह एक दिन एक महान धावक (runner) बने। लेकिन विवेक के साथ एक समस्या थी—वह जन्म से ही कमजोर पैरों के साथ पैदा हुआ था। जब वह छोटा था, डॉक्टर ने कहा था कि वह कभी ठीक से चल भी नहीं पाएगा, दौड़ने की तो बात ही दूर थी।लेकिन विवेक ने इस बात को कभी नहीं माना।
उसके दिल में एक जुनून था, एक आग थी। वह रोज़ गांव के मैदान में जाकर खड़ा हो जाता, और बाकी बच्चों को दौड़ते हुए देखता। उसके दिल में एक ही ख्वाहिश थी
—”One day, I will run faster than all of them.”विवेक को उसके दोस्तों ने कई बार मजाक उड़ाया, “तू कभी नहीं दौड़ पाएगा। तेरे पैर कमजोर हैं। डॉक्टर ने भी कह दिया है, फिर क्यों कोशिश कर रहा है?” लेकिन विवेक ने कभी इन बातों को अपने मन में जगह नहीं दी। उसने ठान लिया था कि वह हर हाल में दौड़ेगा, चाहे जो भी हो जाए।उसके माता-पिता भी चिंतित थे। वह अपने बेटे की मेहनत देख रहे थे, लेकिन उन्हें डर था कि उसकी मेहनत बेकार न हो जाए।
एक दिन उसके पिता ने उससे कहा, “बेटा, कभी-कभी हमें सच्चाई को स्वीकार करना पड़ता है। ये मुमकिन नहीं है कि तुम दौड़ सको।” विवेक ने उनकी बात ध्यान से सुनी, लेकिन फिर उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “
Nothing is impossible, papa. I believe in myself.”दिन बीतते गए, और विवेक ने खुद से वादा किया कि वह हर रोज थोड़ा-थोड़ा चलने की कोशिश करेगा। उसने धीरे-धीरे अपने पैरों पर काम करना शुरू किया। पहले तो वह बहुत दर्द महसूस करता था, कई बार गिरता भी था,
लेकिन हर बार उठ जाता। “Pain is temporary, but quitting lasts forever.“विवेक को मालूम था कि अगर वह अपने सपने को साकार करना चाहता है, तो उसे अपनी मेहनत को और बढ़ाना होगा। गांव में हर साल दौड़ की प्रतियोगिता होती थी, और अगले साल की दौड़ में हिस्सा लेने का उसका लक्ष्य था। यह सुनकर गांव के लोग हंसते थे, “
सुनकर गांव के लोग हंसते थे, “तू इस दौड़ में हिस्सा लेगा? ये असंभव है!” लेकिन विवेक के दिल में आत्मविश्वास था। उसने हर चुनौती को अपने संघर्ष का हिस्सा बना लिया।जैसे-जैसे दौड़ का दिन नजदीक आया, विवेक की तैयारी और भी कठिन हो गई। वह रोज सुबह जल्दी उठकर दौड़ने की प्रैक्टिस करता, अपने पैर मजबूत बनाने के लिए अलग-अलग एक्सरसाइज करता, और अपने मानसिक बल को बढ़ाने के लिए प्रेरणादायक किताबें पढ़ता।
धीरे-धीरे, उसके पैरों में ताकत आने लगी, और वह पहले से बेहतर दौड़ने लगा।आखिरकार वह दिन आ गया, जब पूरे गांव में दौड़ की प्रतियोगिता थी। सारे धावक अपने-अपने पोजिशन पर खड़े थे, और विवेक भी उनके साथ खड़ा था। लोग अब भी उसकी क्षमता पर शक कर रहे थे, लेकिन विवेक के चेहरे पर दृढ़ निश्चय की चमक थी।जैसे ही सीटी बजी, सारे धावक दौड़ पड़े। शुरुआत में विवेक धीमा था, क्योंकि उसके पैर अब भी पूरी तरह से मजबूत नहीं थे। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।
वह दौड़ते रहा, उसके मन में बस एक ही बात थी: “Never give up.”धीरे-धीरे उसने अपनी गति बढ़ाई, और दौड़ के बीच में वह बाकी धावकों के साथ बराबरी पर आ गया। लोगों को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। वह लड़का, जिसके बारे में कहा गया था कि वह कभी दौड़ नहीं पाएगा, अब सबसे तेज दौड़ रहा था।अंतिम रेखा से कुछ मीटर पहले, विवेक ने अपनी सारी ताकत झोंक दी और दौड़ को जीत लिया। पूरा गांव तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
जो लोग पहले उस पर हंसते थे, वे अब उसकी जीत पर गर्व महसूस कर रहे थे।विवेक के माता-पिता की आंखों में आंसू थे। उन्होंने अपने बेटे को गले लगाया और कहा, “तुमने हमें गलत साबित किया, बेटा। तुमने साबित कर दिया कि अगर मन में सच्ची लगन हो, तो कुछ भी असंभव नहीं है।”विवेक ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “असफलता से डरना नहीं चाहिए, पापा। क्योंकि असफलता ही हमें सिखाती है कि सफलता की असली कीमत क्या होती है।”
इस तरह, विवेक ने न सिर्फ अपने सपने को पूरा किया, बल्कि गांव के हर इंसान को ये सिखा दिया कि मेहनत और आत्मविश्वास से कोई भी मुश्किल जीत में बदल सकती है।
संदेश: असफलता हमें सिखाती है, हमें मजबूत बनाती है। अगर आप भी किसी असफलता से जूझ रहे हैं, तो उसे अपनी जीत का पहला कदम मानें। कभी हार मत मानें, क्योंकि जीत उन्हीं की होती है जो अंत तक संघर्ष करते हैं।